
उज्जैन में है देवी सरस्वती की अद्भुत और अनूठी प्रतिमा,बसंत पंचमी पर स्याही से किया जाता है अभिषेक
◆महाकाल और हरसिद्धि मंदिर में भी अलग अलग स्वरूपों में विराजित हैं बुद्धि और विद्या की देवी
■ वीवीएस सेंगर
उज्जैन। ऐतिहासिक और पौराणिक नगरी उज्जैन मंदिरों की भी नगरी है । यहां विश्व प्रसिद्ध भगवान महाकालेश्वर का प्राचीन मंदिर तो है ही अन्य देवी देवताओं के भी कई ऐसे मंदिर है जो अपने आप में अद्भुत और अनूठे हैं । ऐसा ही देवी सरस्वती का एक मंदिर उज्जैन में है। पान दरीबा में स्थित यह मंदिर हालांकि छोटा है लेकिन यहां पूजन की विधि अनूठी है। यहां देवी सरस्वती का स्याही से अभिषेक किया जाता है।
बसंत पंचमी के मौके पर रविवार को यहां भक्तों की भीड़ जुटती है और लोगों इस मंदिर में विराजित देवी सरस्वती की प्राचीन और पौराणिक प्रतिमा का स्याही से अभिषेक करते हैं। साथ ही सरसों के पुष्प चढ़ाते हैं। मान्यता है कि बसंत पंचमी के दिन यहां देवी सरस्वती के दर्शन और पूजन से विद्या और बुद्धि का प्रादुर्भाव होता है।परीक्षाओं से पहले लोग अपने बच्चे बच्चों को लेकर यहां आते हैं और देवी सरस्वती का स्याही से अभिषेक कराते हैं । वहीं स्कूल जाने से पहले बच्चों को सबसे पहले यहां लाया जाता है। मान्यता है कि ऐसा करने से बच्चे पढ़ाई में कुशाग्र होते हैं।
इसके साथ ही देवी सरस्वती के अन्य भी यहां मंदिर हैं। खास बात यह है इन मंदिरों में देवी सरस्वती की प्रतिमा अद्भुत और अनूठी हैं। महाकालेश्वर मंदिर में भी देवी सरस्वती की एक ऐसी अनूठी प्रतिमा है । यहां देवी सरस्वती को सिंदूर का चोला चढ़ाया जाता है इस प्रतिमा की खासियत यह है इस प्रतिमा में देवी सरस्वती अपने दोनों हाथों में तो वीणा लिए हुए हैं। मान्यता है कि बसंत पंचमी के दिन पूजन करने से बुद्धि और विद्या का प्रादुर्भाव होता है ।
इसके साथ ही हरसिद्धि मंदिर में देवी सरस्वती की एक प्राचीन प्रतिमा है बसंत पंचमी के मौके पर यहां भी देवी सरस्वती की इस प्रतिमा का विशेष श्रृंगार किया गया और पूजन किया गया। बड़ी संख्या में धर्मालुओं ने बसंत पंचमी के दिन यहां आकर देवी सरस्वती के दर्शन किए। मान्यता है कि बसंत पंचमी के दिन बुद्धि और विद्या की देवी सरस्वती जी प्रकट हुई थी इसलिए बसंत पंचमी पर देवी सरस्वती के पूजन का विशेष महत्व है।